जिनके नाम पर सरवाड़ के राजकीय कन्या विद्यालय का नामकरण हुआ।
सरवाड़। पूसीबाई गर्ल्स स्कूल। नाम आते ही जेहन में कुम्हार मोहल्ले का वो भवन आता है, जहां हजारों बेटियों ने शिक्षा ग्रहण की। वो पाठशाला जहां आजादी के पहले से ही बेटियों को पढ़ाने और उनकी जिंदगी को तराशने का काम किया जाता रहा। यहां पढ़-लिखकर सरवाड़ और आसपास देहात की हजारों बेटियों ने देश दुनिया में कामयाबी का परचम लहराया। कई बेटियां अपने क्षेत्र में नंबर वन पोजीशन पर पहुंची तो हजारों ने यहां से ज्ञान और संस्कार पाकर अपने परिवार को संभाला, अपनी पीढ़ियों को काबिल बनाया।
पूसीबाई कन्या विद्यालय का इतिहास बहुत पुराना है। ये विद्यालय आजादी पूर्व से संचालित है।
पहले ये राजकीय प्राथमिक कन्या विद्यालय था। वर्ष 1946 के एसआर रजिस्टर के मुताबिक 01 मई 1946 को विद्यालय का पहला एडमिशन सावित्रीबाई गौड़ पुत्री कल्याणमल का हुआ। यानी शुरुआत में यहां प्राइमरी शिक्षा दी जाती रही। फिर विद्यालय मिडिल स्तर का हुआ और छात्राओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए गुप्ता परिवार आगे आया।
60 के दशक में सरवाड़ निवासी घनश्याम दास गुप्ता, गोविंद राम गुप्ता, गिरधारी लाल गुप्ता और ईश्वर दयाल गुप्ता ने अपनी माता पूसीबाई पत्नी सेठ गोवर्धन दास गुप्ता के नाम पर विद्यालय को भवन दान किया।
इस तरह आवश्यक खानापूर्ति के बाद राजकीय कन्या विद्यालय से बदलकर दानदाता पूसीबाई के नाम कर दिया गया। तब से अब तक विद्यालय को पूसीबाई राजकीय कन्या विद्यालय के नाम से जाना जाता है। विद्यालय रिकॉर्ड में दानदाताओं के नाम के आगे गुप्ता तो विद्यालय भवन में लगी पूसीबाई की फोटो के नीचे लिखे दानदाताओं के नाम के आगे बांगड़ सरनेम लगा हुआ है। इस संबंध में स्वर्गीय पूसीबाई के पड़पोते सरवाड़ निवासी आशुतोष बांगड़ बताते हैं कि हमारे दादा-परदादा और उनके भाई गुप्ता सरनेम का इस्तेमाल करते थे। उनके बाद हमारे पिता और उनके भाइयों में गुप्ता तो कहीं बांगड़ सरनेम का उपयोग करने लगे।
कन्या विद्यालय के पुराने भवन के पास आज भी है पूसीबाई की हवेली
जहां उनके पड़पोते आशुतोष बांगड़ का परिवार निवास करता है। बाकी परिवार के लोग किशनगढ़, जयपुर, इंदौर और देश के अन्य हिस्सों में निवास करते है। वक्त के साथ-साथ विद्यालय प्राथमिक से उच्च प्राथमिक फिर 11 अगस्त 1975 को माध्यमिक स्तर का हुआ। वर्ष 1993 माध्यमिक से उच्च माध्यमिक स्तर का कला संकाय के साथ कर दिया गया। पूसीबाई दुनिया को अलविदा कहे भले ही दशक गुजर गए हो लेकिन उनकी और उनके परिवार की सोच के चलते हजारों की तादाद में लड़कियों ने यहां इल्म हांसिल किया है।
जर्जर भवन के मुख्य द्वार पर लगी है पूसीबाई की तस्वीर
आज भी जर्जर भवन के मुख्य द्वार से भीतर प्रवेश करते ही सामने ऊपर की ओर स्वर्गीय पूसीबाई की तस्वीर लगी हुई है। जहां गर्ल्स स्कूल स्टाफ के कुलदीप सिंह द्वारा रोजाना दिया-बत्ती की जाती है। गुप्ता-बांगड़ परिवार की उस दौर में रही सोच को सलाम!
अजमेर के पूर्व एसपी, राजस्थान पुलिस के IG विकास कुमार जिनके नाम से क्रिमिनल के पसीने छूटते है।