गारनेट का उपयोग रत्न के रूप में किया जाता है। इसे खदानों में से मजदूरों के द्वारा निकाला जाता है। इसकी 100 फीट गहराई तक खदानें होती है।
सरवाड़ में गारनेट पत्थर बहुतायात में निकलता है। इसे तामड़ा, लालें और रक्तमणी भी कहा जाता है। खदानों में से गारनेट पत्थर सात से आठ रंगों में निकलता है। इनमें गुलाबी, बैंगनी और लाल रंग प्रमुख है। जामुनी रंग का गारनेट सबसे महंगा होता है। यह जेम और एबरेसिव दो प्रकार का होता है। गारनेट का उपयोग रत्न के रूप में किया जाता है।
गारनेट को खदानों से मजदूरों द्वारा निकाला जाता है।इसकी 100 फीट गहराई तक खदानें होती है।
गारनेट माइका के साथ मिश्रित रूप में निकलता है। खदान में काम करने वाले मजदूर की 5 सौ से लेकर 1 हजार रुपए तक मजदूरी होती है। खदानों में से कच्चा माल निकालने के बाद इसकी छटनी होती है।
यहां निकलता है गारनेट पत्थर
सरवाड़ क्षेत्र में यह सोमपुरा, भाटोलाव, जगपुरा, छापरी, खारा, सातोलाव, भगवानपुरा, चकवा, चकवी और निकटवर्ती क्षेत्र बिलिया, नांदसी, पारलिया और देवलियाकला में भारी तादाद में निकलता है। अच्छी किस्म का गारनेट 50 रुपए से लेकर 50 हजार रुपए किलो तक बिकता है। कच्चे माल की मंडी जयपुर में है।