पुलिस सेवा से पहले आईआईटी कानपुर में रिसर्च इंजीनियर बने। फिर भारतीय रेल सेवा में काम किया। इसके बाद भारतीय राजस्व सेवा में रहे।
एम. इमरान टांक
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अजमेर के पूर्व एसपी, राजस्थान पुलिस के IG विकास कुमार जिनके नाम से क्रिमिनल के पसीने छूटते है। अजमेर एसपी रहते ऑपरेशन मदमस्त” की बात हो या अलवर में अवैध खनन का मामला। शराब माफियाओं पर नकेल या चित्तौड़गढ़ में अफीम की रिकॉर्ड खेप पकड़ने का मामला हो। सबमें उनके नाम का सिक्का चला। अजमेर में तो उनके कई किस्से है। कभी रात को थानों पर जाकर पुलिसकर्मियों की सुध लेना, कभी मोटरसाइकिल पर शहर में अकेले निकलकर आवाम के दुःख दर्द जानना उनकी कार्यशैली का हिस्सा रहा। उन्हें अजमेरवासी सिंघम कहा करते थे।
महादेवी वर्मा, गुलशन नंदा, रामधारी सिंह दिनकर, हरिवंश राय बच्चन और दुष्यंत कुमार को पढ़ते हैं।
तेजतर्रार, सख़्त ऑफिसर की छवि के बीच बहुत कम लोगों को पता है कि विकास कुमार के मन के एक कौने में एक कवि, साहित्यकार भी रहता है। उन्हें कविताएं, लेख, कहानियां, लिखने और पढ़ने का बेहद शौक है। वे महादेवी वर्मा, गुलशन नंदा, रामधारी सिंह दिनकर, हरिवंश राय बच्चन और दुष्यंत कुमार को पढ़ते हैं। उनकी लिखी एक कविता की चंद पंक्तियां में यहां लिख रहा हूं…
दुश्मन पर कहर बनकर बरपू, जबतक दम में दम बाकी हो। हर बार जन्म भारत भू पर, हर बार बदन पर खाकी हो।।
आईपीएस विकास बिहार से है और धर्मपत्नी पंजाब से, दोनों की पहली मुलाकात नेशनल पुलिस अकादमी हैदराबाद में हुई
कविता हो या कहानी वे लिखने के बाद सबसे पहले अपनी धर्मपत्नी को उसे पढ़कर सुनाते हैं। डिस्कशन करते हैं। हिट या फ्लॉप की जानकारी वहीं से मिलती है। जानने वाली बात ये है कि इनकी धर्मपत्नी भी भारतीय पुलिस सेवा में है। आईपीएस विकास बिहार से है और मैडम पंजाब से। वे बताते हैं कि दोनों की पहली मुलाकात नेशनल पुलिस अकादमी हैदराबाद में हुई। घर में बिहार-पंजाब की संस्कृति का मेलजोल है। इसलिए यहां लिट्टी-चोका भी बनता है और मक्के दी रोटी ओर सरसों दा साग भी मजे से खाया जाता है।
पटना कॉलेज में शिक्षा हांसिल करने के बाद आईआईटी कानपुर से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।
विकास कुमार मूलरूप से बिहार के औरंगाबाद जिले के निवासी है। 7वीं कक्षा तक औरंगाबाद पढ़े। उसके बाद गुरुकुल नेत्रहट विद्यालय से 10वीं तक पढ़ाई की। बचपन बिहार में गुजरा। नामचीन पटना कॉलेज में शिक्षा हांसिल करने के बाद आईआईटी कानपुर से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। पुलिस सेवा से पहले कैरियर की शुरुआत सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में की। इसके बाद आईआईटी कानपुर में रिसर्च इंजीनियर हुए। फिर भारतीय रेल सेवा में काम किया। इसके बाद भारतीय राजस्व सेवा में रहे।
पढ़ना,लिखना, जॉगिंग, साइकिलिंग, मित्रों के साथ गपशप शौक
पिता राज्य प्रशासनिक सेवा में रहे। माताजी कॉलेज प्रिंसिपल पद से सेवानिवृत्त हुई। दो भाई एक बहन है। परिवार में 50 से भी ज्यादा सदस्य पुलिस में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं। बहनोई भारतीय पुलिस सेवा में बिहार कैडर में है। भाई लॉयर है।
लिखने, पढ़ने, जॉगिंग, साइकिलिंग, मित्रों के साथ गपशप, परेशानहाल लोगों की मदद और काउंसलिंग करना शौक में शुमार है।
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